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________________ 12. उत्तिष्ठः इदानीं तस्मै फलं देहि-उठ, अब उसको फल दे। 13. फल स्वादु नास्ति, कथं दास्यामि-फल मीठा नहीं है, कैसे हूँ। 14. यथा अस्ति तथा एव देहि-जैसा है, वैसा ही दे। शब्द इति-ऐसा। पर्यन्तम्-तक। वा-अथवा, या। क्रीडामि-मैं खेलता हूँ। अथवा-या। क्रीडसि-तू खेलता है। किंवा-या। क्रीडति-वह खेलता है। अवश्यम्-अवश्य। सुष्ठु-ठीक, अच्छा। वरम्-श्रेष्ठ, अच्छा। कन्दुकः-गेंद। क्रीडिष्यति-वह खेलेगा। क्रीडिष्यसि-तू खेलेगा। क्रीडिष्यामि-मैं खेलूँगा। मदीयम्-मेरा। वाक्य 1. देवदत्तः तत्र क्रीडति-देवदत्त वहाँ खेलता है। 2. सः तत्र सायंकाले गत्वा क्रीडिष्यति-वह वहाँ शाम को जाकर खेलेगा। 3. सः तत्र प्रातः गमिष्यति न वा-वह वहाँ सबेरे जाएगा या नहीं ? 4. अहं तत्र सायंकालपर्यन्तं स्थास्यामि-मैं वहाँ शाम तक ठहरूँगा। 5. त्वम् अवश्यम् आगच्छ-तू अवश्य आ। 6. सः कन्दुकेन सुष्टु क्रीडति-वह गेंद से अच्छा खेलता है। 7. सः न तथा सुष्टु क्रीडति यथा विष्णुमित्रः-वह वैसा अच्छा नहीं खेलता जैसा विष्णुमित्र। 8. सत्यम् अस्ति-सत्य है। 9. यथा त्वं वदसि तथा एव अस्ति-जैसा तू कहता है, वैसा ही है। 10. रात्रौ जलम् उपरि नयसि न वा-तू रात्रि में जल ऊपर ले जाता है या नहीं ? 11. अवश्यं नेष्यामि, सत्यं वदामि-अवश्य ले जाऊँगा, सत्य बोलता हूँ। 12. यदि त्वं सत्यं वदसि नेष्यसि एव-अगर तू सच बोलता है तो ले जाएगा ही। 13. वरं यथा, वदसि तथा कुरु-अच्छा, जैसा बोलता है, वैसा कर। 14. इदानीं भोजनं कर्तुम् इच्छामि, अन्नम् आनय-अब भोजन करना चाहता हूँ, अन्न ले आ। 15. अन्नं नास्ति, मोदकम् अस्ति-अन्न नहीं है, लड्डू है। यहाँ तक पाठक जान चुके हैं कि अकारान्त तथा इकारान्त पुल्लिंग शब्द कैसे 44
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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