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________________ भृ (धारणपोषणयोः) = धारण और पोषण करना परस्मैपद वर्तमान-बिभर्ति, बिभृतः, बिभ्रति । बिभर्षि, बिभृथः, बिभृथ। बिभर्मि, बिभृवः, बिभृमः । भविष्य-भरिष्यति। भरिष्यसि। भरिष्यामि। भूत-अबिभः, अबिभृताम्, अबिभरुः। अबिभः, अबिभृतम्, अबिभृत । अबिभरम्, अबिभृव, अबिभृम। भी (भये) = डरना परस्मैपद वर्तमान-बिभेति, बिभीतः, बिभ्यति। बिभेषि, बिभीथः, बिभीथ। बिभेमि, बिभीवः, बिभीमः। (इसके द्विवचन में दीर्घ 'भी' के स्थान पर ह्रस्व 'भि' होकर भी रूप बनते हैं। जैसे-बिभिथः बिभितः इ.) भविष्य-भेष्यति, भेष्यति, भेष्यासि। भूत-अबिभेत् अबिभीताम्, अबिभयुः। अबिभेः, अबिभीतम्, अबिभीत। अबिभयम्, अबिभीव, अबिभीम। (यहाँ दीर्घ 'भी' के स्थान पर ह्रस्व होकर दूसरे रूप होते हैं। जैसे-अबिभित, अबिभिम इ.) मा (माने) = मिनना, मापना आत्मनेपद वर्तमान-मिमीते, मिमाते, मिमते। मिमीषे, मिमाथे, मिमीध्वे। मिमे, मिमीवहे, मिमीमहे। भविष्य-मास्यते, मास्यसे। मास्ये। भूत-अमिमीत, अमिमाताम्, अमिमत। अमिमीथाः, अमिमाथाम्, अमिमीध्वम् । अमिमि, अमिमीवहि, अमिमीमहि। विष् (व्याप्तौ) = व्यापना परस्मैपद वर्तमान-वेवेष्टि, वेविष्टः, वेविषति। वेवेक्षि, वेविष्ठ, विष्ठः। वेवेष्मि, वेविष्वः, वेविष्मः।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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