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________________ एथ्-वृद्धौ। (बढ़ाना) एधेते एधन्ते प्रथम पुरुष एधते मध्यम पुरुष एधसे उत्तम पुरुष एधे एधेथे एधध्ये एधामहे एधावहे *पच-पाके। (पकाना) प्रथम पुरुष पचते पचेते पचन्ते मध्यम पुरुष पचसे पचेथे पचध्ये प्रथम गण। आत्मनेपद। 1. अङ्क (लक्षणे)-चिह्न करना-अङ्कते, असे, अङ्के। 2. अह (गतौ)-जाना-अहते, अहसे, अहे। 3. ईक्ष् (दर्शने)-देखना-ईक्षते, ईक्षसे, ईक्षे। 4. ऊह (वित)-तर्क करना-ऊहते, ऊहसे, ऊहे। 5. एज् (दीप्तौ)-प्रकाशना-एजते, एजसे, एजे। 6. कम्प् (कम्पने)-काँपना-कम्पते, कम्पसे, कम्पे। 7. कव् (वर्णने)-वर्णन करना-कवते, कवसे, कवे। 8. काश् (दीप्तौ)-प्रकाशना-काशते, काशसे, काशे। 9. कु (कव्)-शब्दे-बोलना-कवते, कवसे, कवे। 10. क्रन्द् (रोदने)-रोना-क्रन्दते, क्रन्दसे, क्रन्दे। प्रथम, मध्यम, उत्तम पुरुषों के एकवचन के रूप यहाँ सूचनार्थ दिए हैं। पाठक अन्य रूप बना सकते हैं। वाक्य 1. स बोधते परं त्वं न बोधसे।। 2. सः वृक्षः एधते। 3. अहं पचे। 4. आवां पचावहे। 5. वयं पचामहे। 6. तौ अङ्केते। 7. ते ईक्षन्ते। वह समझता है परन्तु तू नहीं समझता। वह वृक्ष बढ़ता है। मैं पकाता हूँ। हम दोनों पकाते हैं। हम सब पकाते हैं। वे दोनों चिह्न करते हैं। वे सब देखते हैं। * ये धातु दोनों पद में हैं; इसलिये परस्मैपद और आत्मनेपद दोनों में इनके रूप होते हैं।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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