SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तः न्ति थः स्यथ स्यामः पाठ 43 प्रथम गण। परस्मैपद प्रथम गण परस्मैपद के धातुओं के वर्तमान और भविष्य के रूप अब पाठक स्वयं बना सकते हैं। वर्तमान और भविष्य के प्रत्यय नीचे दिये जा रहे हैं वर्तमान काल के लिए प्रत्यय एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष ___......ति मध्यम पुरुष ........सि उत्तम पुरुष .......मि भविष्यकाल के लिये प्रत्यय प्रथम पुरुष .......स्यति स्यतः स्यन्ति मध्यम पुरुष .......स्यसि स्यथः उत्तम पुरुष .......स्यामि स्यावः ___ याच (याञ्चायाम)-मांगना-प्रथम गण याचति याचतः याचन्ति याचसि याचथः याचथ याचामि याचावः याचामः परस्मैपद। भविष्यकाल याचिष्यति याचिष्यतः याचिष्यन्ति याचिष्यसि याचिष्यथः याचिष्यथ याचिष्यामि याचिष्यावः याचिष्यामः भविष्यकाल के प्रत्यय लगने के पूर्व धातु के अन्त में 'ई' आती है। 'इ' के पश्चात् आनेवाले 'स' का 'ष' हो जाता है इसलिए रूप 'याचिष्यामि' बनता है। 'पा' धातु का 'पास्यामि' रूप होता है क्योंकि वहाँ 'इ' नहीं है, इसलिए 'स्वामि' का 'ष्यामि' नहीं होगा। जिन प्रत्ययों के प्रारम्भ में 'म' अथवा 'व' होता है, उनके पूर्व का 'अ' दीर्घ हो जाता है अर्थात् उसका 'आ' बन जाता है। जैसा-याचामि, याचावः, याचिष्यामि। प्रथम गण वर्तमान काल के प्रत्यय लगने के पूर्व धातु के और प्रत्यय के बीचमा
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy