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________________ इस प्रकार प्रकरण के अनुसार, सब वचनों में प्रयोग हो सकता है। त्रिंशत्, चत्वारिंशत्, पञ्चाशत्-ये सब स्त्रीलिंग हैं। इनके रूप ‘सरित्' शब्द के समान होते हैं। षष्ठि, सप्तति, अशीति, नवति-ये शब्द स्त्रीलिंग हैं। इनके रूप 'रुचि' शब्द के समान होते हैं। 'कोटि' शब्द स्त्रीलिंग है। इसके रूप रुचि' शब्द के समान होते हैं। पञ्चन्, षष्टन्, सप्तन्, अष्टन्, नवन्, इनके स्त्रीलिंगी रूप पुल्लिंग के समान होते हैं। पाठ 34 क्रियापद-विचार प्रिय पाठक ! यहां तक पहुंचकर आप संस्कृत में साधारण व्यवहार की बातचीत कर सकते हैं। इस प्रणाली से आपके अन्दर आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ होगा। पिछले पाठों में आपने नामों का विचार सीखा। वाक्य में जैसे नाम होते हैं वैसे ही क्रियापद भी होते हैं, जिन पर इस भाग में विचार करेंगे। रामः आनं भक्षयति = राम आम खाता है। इस वाक्य में 'रामः आनं' शब्द नाम हैं और 'भक्षयति' शब्द क्रिया है। क्रिया के बिना वाक्य पूर्ण नहीं होता। पूर्ण वाक्य बनाने की योग्यता प्राप्त करने के लिए आपको क्रियापदों का अभ्यास करना होगा। वाक्य में निम्न अवयव हुआ करती हैं(1) नाम-रामः, कृष्णः, ईश्वरः, देवता, फलम् इत्यादि प्रकार के नाम होते (2) सर्वनाम-सः, सा, तत्, सर्व, विश्व, किम् का आदि सर्वनाम होते हैं। (3) विशेषण-शुभ, सुन्दर, श्वेत, मधुर आदि गुण बतानेवाले शब्द विशेषण होते हैं। (4) क्रियापद-गच्छति, वदति, करोति, जानाति आदि क्रियादर्शक शब्द क्रियापद होते हैं। (5) अव्यय-च, परन्तु, किन्तु, यदि, अपि, चेत् इत्यादि शब्द अव्यय होते हैं। इन पांच अवयवों को निम्न वाक्य में देखिये सुविद्याभूषितो रामः पतिव्रतया सीतया सह, इदानीं वनं गच्छति। तं कुमारं राम, - भार्यया सीतया, भ्रात्रा लक्ष्मणेन च सह, वनं गच्छन्तं अवलोक्य, नागरिको जनस्, तं 137
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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