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________________ सकारान्त नपुंसकलिंग ‘मनस्' शब्द 1. मनः मनांसि सम्बोधन (हे)" मनसी धातृभिः #io धातृषु तृतीया विभक्ति से इसके 'चन्द्रमस्' शब्दवत् रूप होते हैं। ‘पयस्, महस्, वचस्, श्रेयस्, तरस, तमस्, रजस्' इत्यादि शब्दों के रूप इसी प्रकार बनते हैं। ऋकारान्त नपुंसकलिंग 'धातृ' शब्द __ 1. धातृ धातृणी धातृणि सम्बोधन (हे) धातः, धातृ 2. धातृ धात्रा, धातृणा धातृभ्याम् धात्रे, धातृणे धातृभ्यः धातुः, धातृणः धात्रोः, धातृणोः धातृणाम् धातरि, धातृणि इसी प्रकार ‘कर्तृ, नेत, ज्ञातृ' इत्यादि ऋकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलते हैं। शब्द-पुल्लिंग जलाशयः = तालाब। मत्स्यः = मछली। प्रत्युत्पन्नमतिः = स्थिति उत्पन्न होने पर समझनेवाला। विधाता = करनेवाला। अनागत-विधाता = भविष्य को लक्ष्य में रखकर करनेवाला। यद्भविष्यः = दैववादी। मत्स्यजीविन् = धीवर। नपुंसकलिंग प्रभात = सवेरा। अभीष्ट = इच्छित। विशेषण अन्वेषित = ढूंढा हुआ। अतिक्रान्त = गया हुआ। क्रिया प्रतिभाति = मालूम होता है। विहस्य = हंसकर।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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