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________________ = चल पड़ा। समासादित = प्राप्त किया। अतिक्रान्त = समाप्त हुआ। आशान्वित = आशा से युक्त। शापित = शाप दिया गया। निर्वापित = बुझाया गया। निबद्ध = बाँधा हुआ। निष्कान्त = निकल गया। क्रिया अनुशुशोच = शोक किया। अस्वप्नायत = स्वप्न आया। प्रविवेश = घुस गया। आप्तुम् = प्राप्त करने के लिए। प्रविश्य = घुसकर। वक्ति = बोलता है। कर्तित्वा = काटकर । सुष्वाप = सो गया। उत्पाद्य = बनाकर । कांक्षति = इच्छा करता है। अन्य परमार्थतः = वास्तव में। भूमिष्ठम् = ज़मीन में गाड़ा हुआ। विशेषणों का उपयोग सुप्ता बालिका। सुप्तः पुत्रः। सुप्तं मित्रम्। निर्वापितो दीपः। प्रबुद्धा स्त्री। निष्कान्तः पुरुषः । शापिता नारी। (18) चारुदत्तसदने चौर्यम् (1) गच्छति काले कस्मिंश्चिद्' दिने गान्धर्वं श्रोतुं गतः चारुदत्तः अतिक्रान्तायाम् अर्धरजन्यां गृहम् आगत्य समैत्रेयःसुष्वाप। (2) सुप्तयोरुभयोः शर्विलक इति' कश्चिद् ब्राह्मणचौरः स्तेयेन द्रव्यम् आप्तु ! (1) (गच्छति काले)-समय जाने पर । (अतिक्रातायाम्-अर्धरजन्याम्) आधी रात बीत जाने पर। (2) (सुप्तयोः उभयोः) दोनों के सो जाने पर (सन्धिम् उत्पाद्य प्रविवेश) सुराख करके घुस गया। (3) (परं विषादम् अगच्छत्) बहुत दुःख को प्राप्त हुआ। (4) (आत्मानं वक्ति) अपने-आप से बोलता है (परमार्थतः दरिद्रः) वास्तव में गरीब। (भूमिष्ठं द्रव्यं धारयति) भूमि के अन्दर पैसा रखता है। (5) (मैत्रेयः उदस्वप्नायत) मैत्रेय को स्वप्न आ गया। (6) (इतस्ततो दृष्ट्वा ) इधर-उधर देखकर। (जर्जर-स्नान-शाटी निबद्ध) स्नान करने के पुराने कपड़े में बांधा हुआ (ग्रहीतुमनाः) लेने की इच्छा। (न | 86] 1. कस्मिन्+चित्। 2. सुप्तयोः+उभ.। 3. शर्विलकः इति।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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