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________________ समास - विवरण 1. भृत्यधर्माः - भृत्यस्य (सेवकस्य ) धर्माः ( कर्त्तव्याणि) । 2. सविशेषम् - विशेषेण सहितम् = सविशेषम् । 3. दानकालः - दानस्य कालः = दानकालः । 4. स्वामिपाद मूलम् - स्वामिनः पादौ = स्वामिपादौ । स्वामिपादयोः मूलम् = स्वामिपादमूलम् । 5. असन्तोषः - न सन्तोषः = असन्तोषः । 6. अस्वाधीनसकलेन्द्रियवृत्तयः - सकलानि इन्द्रियाणि = सकलेन्द्रियाणि । सकलेन्द्रियाणां वृत्तयः सकलेन्द्रियवृत्तयः । न स्वाधीनाः = अस्वाधीनाः । अस्वाधीनाः सकलेन्द्रियवृत्तयः येषां ते अस्वाधीनसकलेन्द्रियवृत्तयः । 7. अनपहतकरचरणाः- करौ च चरणौ च करचरणाः । न अपहतः - अनप्रर्हतः । अनपहताः करचरणा येषां ते अनपहतकरचरणाः । पाठ 16 सर्वनाम पाठकों से निवेदन है कि वे पिछले 15 पाठों का अध्ययन पूर्ण होने से पूर्व इस पाठ को प्रारम्भ न करें। दो बार या तीन बार अध्ययन करके उनमें दिये हुए नियमादि की अच्छी योग्यता प्राप्त करने के बाद इस पाठ को प्रारम्भ करें। सर्वनामों के लिए प्रायः सम्बोधन नहीं होता परन्तु 'सर्व, विश्व' आदि कई ऐसे सर्वनाम हैं जिनका सम्बोधन होता है। नाम वे होते हैं जो पदार्थों के नाम हों, जैसे - कृष्णः, रामः, गृहम्, नगरम्, दीपः, लेखनी, पुस्तकम् इत्यादि, सर्वनाम उनको कहते हैं जो नाम के बदले में आते हैं, जैसे- सः (वह), त्वम् (तू), अहम् (मैं), सर्वम् ( सबको), उभौ (दो), कः ( कौन), अयम् (यह ) इत्यादि । अकारान्त पुल्लिंग 'सर्व' शब्द सर्वे 1. सर्वः सम्बोधन (हे) सर्व 2. सर्व 3. सर्वेण 4. सर्वस्मै (हे) सर्वो 17 "" सर्वाभ्याम् 77 29 सर्वान् सर्वैः सर्वेभ्यः 83
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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