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________________ सम्बोधितः स भीमसेनः तस्य शरीरं द्विधा कृत्वा भूमौ निपातयामास। (8) एवं बलिष्ठं जरासन्धम् पाण्डुपुत्रेण पातयित्वा तेन कारागृहीतान् पार्थिवान् वासुदेवो मोचयामास। (कृष्ण) से कहे हुए, उस भीमसेन ने उसके शरीर के दो हिस्से करके भूमि पर गिराए। (8) इस प्रकार बलवान जरासंध को पाण्डु के उस पुत्र द्वारा मरवाकर, जेलखाने में बन्द किए हुए राजाओं को श्रीकृष्ण ने छोड़ दिया। (9) वे भी उस भगवान की बहुत प्रकार स्तुति करते हुए अपने प्रदेश को प्राप्त हुए। (9) तेऽपि तं भगवन्तं बहुधा स्तुवन्तः स्वान् स्वान् जनपदान् प्रतिपेदिरे। (महाभारतात्) (महाभारत) समास-विवरण 1. दुष्टाशयः-दुष्टः आशयः यस्य सः, दुष्टाशयः, दुरात्मा। 2. भीमार्जुनसहितः-भीमः च अर्जुनः च भीमार्जुनौ। भीमार्जुनाभ्यां सहितः, भीमार्जुनसहितः। . 3. मधुपर्कदानम्-मधुपर्कस्य दानं, मधुपर्कदानम्। 4. कृष्णभीमार्जुनाः-कृष्णश्च भीमश्च अर्जुनश्च, कृष्णभीमार्जुनाः। 5. देवकीनन्दनः-देवक्याः नन्दनः, देवकीनन्दनः। 6. सकलजनपदक्षत्रियवधः-सकलं च यत् जनपदं च, सकलजनपदम्। सकलजनपदस्य क्षत्रियाः, सकलजनपदक्षत्रियाः। सकलजनपदक्षत्रियाणां वधःसकलजनपदक्षत्रियवधः। पाठ 8 संस्कृत में पुल्लिंग के लुकारान्त, एकारान्त, ऐकारान्त, ओकारान्त तथा औकारान्त शब्द होते हैं, परन्तु उनमें बहुत ही थोड़े ऐसे हैं जो व्यावहारिक वार्तालाप में आते हैं। इसलिए इनको छोड़कर व्यञ्जनान्त पुल्लिंग शब्दों के रूपों का प्रकार दिया जा रहा है 39
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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