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धर्म का चौथा द्वार
मृदुता धर्म का चौथा द्वार है। भंते! मृदुता से जीव क्या प्राप्त करता है?
मृदुता से वह अनुद्धत मनोभाव को प्राप्त करता है। अनुद्धत मनोभाव वाला जीव मृदु-मार्दव से सम्पन्न होकर मद के आठ स्थानों का विनाश कर देता है।
महवयाए णं भंते! जीवे किं जणयइ?
मद्दवयाए णं अणुस्सियत्तं जणयइ। अणुस्सियत्तेणं जीवे मिउमद्दवसंपन्ने अट्ठ मयट्ठाणाई निट्ठवेइ।
उत्तरज्झयणाणि २६.५०
३ मार्च २००६