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अमनस्क योग (४) श्वासवायु को लम्बे समय तक रोका नहीं जा सकता। दीर्घकाल तक श्वास निरोध (कुंभक) करना बहुत कठिन काम है। अमनस्कता की सिद्धि होने पर श्वास का निरोध तत्काल अपने आप हो जाता है।
अमनस्कता का अभ्यास स्थिर होने पर योगी मुक्त जैसा हो जाता है। उसके श्वास का समूल उन्मूलन हो जाता है।
चिरमाहितप्रयत्नैरपि धर्तुं यो हि शक्यते नैव। सत्यमनस्क तिष्ठति, स समीरस्तत्क्षणादेव।। जातेऽभ्यासे स्थिरताम् उदयति विमले च निष्कले तत्त्वे। मुक्त इव भाति योगी, समूलमुन्मूलितश्वासः ।।
योगशास्त्र १२.४५,४६
२७ जनवरी २००६