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अनिमेष प्रेक्षा अनिमेष प्रेक्षा का अभ्यास नासाग्र और भृकुटी पर किया जा सकता है। नासाग्र पर किया जाने वाला अभ्यास बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। अभ्यासकाल में पूरी एकाग्रता रहे, मस्तिष्क में कोई विचार न घूमे, ध्यान इधर-उधर न जाए, इतनी तन्मयता से देखें कि सारी शक्ति देखने में ही लग जाए। देखने वाला स्वयं दृष्टि ही बन जाए।
अनिमेष प्रेक्षा के अभ्यास से मस्तिष्क के विशेष कोश जाग्रत होते हैं, आंतरिक ज्ञान प्रस्फुटित होता है। किसी भी वस्तु की गहराई में जाकर उसके आंतरिक स्वरूप को समझने की क्षमता जाग्रत होती है।
२३ दिसम्बर
२००६
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