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कला कलकल फल कलाकारका फल कलाकारका कारण काय करणारा
वर्तमान क्षण की प्रेक्षा (२) महावीर की साधना का मौलिक स्वरूप है-अप्रमाद। अप्रमत्त रहने के लिए जो उपाय बतलाए गए हैं, उनमें शरीर की क्रिया और संवेदना ये दो मुख्य उपाय हैं। जो साधक वर्तमान क्षण में शरीर में घटित होने वाली सुख-दुःख की वेदना को देखता है, वर्तमान क्षण का अन्वेषण करता है, वह अप्रमत्त हो जाता है।
'स्थूल शरीर का यह वर्तमान क्षण है'-इस प्रकार जो वर्तमान क्षण का अन्वेषण करता है, वह सदा अप्रमत्त होता है।
जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणेत्ति मन्नेसी।
आयारो ५.२१
१४ दिसम्बर २००६