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अर्हम्
जिसके आदि में 'अकार' मध्य में 'रकार' और अंत में बिन्दु युक्त 'हकार' है, उस अर्हम् का कुंभक ( श्वास संयम) की अवस्था में ध्यान किया जाए ।
मन की एकाग्रता के साथ इस मंत्र का ध्यान करनेवाला व्यक्ति आनंद से परिपूर्ण हो जाता है ।
'अकारादि-हकारान्तं
रेफमध्यं
सबिन्दुकम् ।
तदेव परमं तत्त्वं, यो जानाति स तत्त्ववित्तः । महातत्त्वमिदं योगी, यदैव ध्यायति स्थिरः ।
तदैवानन्दसम्पद्भूः,
मुक्तिश्रीरूपतिष्ठते ।। योगशास्त्र ८.२३
१ दिसम्बर
२००६
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