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कायोत्सर्ग (६) कायोत्सर्ग केवल शिथिलीकरण की साधना नहीं है। शिथिलीकरण के साथ ममत्व का विसर्जन किया जाता है, तब कायोत्सर्ग परिपूर्ण होता है।
कायोत्सर्ग करने वाले को निर्देश दिया गया है-'शरीर भिन्न है आत्मा भिन्न है' इस प्रकार भेद विज्ञान की चेतना जाग्रत करो। इस चेतना के जाग्रत होने पर शरीर के प्रति होने वाले ममत्व का विसर्जन हो जाता है।
अन्नं इमं सरीरं अन्नो जीवुत्ति एव कयबुद्धी। दुक्खपरिकिलेसकरं छिंद ममत्तं सरीराओ।।
झाणज्झयणं ८०
६ अक्टूबर २००६
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