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शुक्लध्यान के चार प्रकार (३) सूक्ष्मक्रिय-अनिवृत्ति
जब मन और वाणी के योग का पूर्ण निरोध होता है तथा श्वासोच्छ्वास जैसी सूक्ष्म क्रिया शेष रहती है उस अवस्था को सूक्ष्मक्रिय कहा जाता है। इसका निवर्तन-हास नहीं होता, इसलिए यह अनिवृत्ति है।
समुच्छिन्नक्रिय-अप्रतिपाति
जब सूक्ष्म क्रिया का भी निरोध हो जाता है, इस अवस्था को समुच्छिन्नक्रिय कहा जाता है। इसका पतन नहीं होता, इसलिए यह अप्रतिपाति है। ___ उपाध्याय यशोविजयजी ने हरिभद्रसूरिकृत योगबिन्दु के आधार पर शुक्लध्यान के प्रथम दो चरणों की तुलना संप्रज्ञात समाधि से की है। शेष दो चरणों की तुलना असंप्रज्ञात समाधि से की है।
२५ सितम्बर २००६