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कलाकारक
धर्म्यध्यान : संस्थान विचय . धर्म्यध्यान का चौथा ध्येय विषय है-संस्थान विचय। यह आकृति-विषयक आलम्बन है। इसमें एक परमाणु से लेकर विश्व के अशेष द्रव्यों के संस्थान ध्येय बनते हैं।
संस्थान एक सूचक शब्द है। इस ध्यान में द्रव्य के उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य का पर्यायालोचन किया जाता है।
जिणदेसियाइ लक्खणसंठाणाऽऽसणविहाणमाणाई। उप्पायठिइभंगाइ पज्जवा जे य दव्वाणं॥
झाणज्झयणं ५२
१७ सितम्बर
२००६