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रौद्रध्यान (३) अनृतानुबंधी-इस ध्यान में व्यक्ति प्रबल राग, द्वेष और मोह वाला होता है तथा कन्या, भूमि आदि के विषय में असत्य बोलता है। असभ्य, असद्भूत और हिंसा को उत्तेजना देने वाले वचन में एकाग्र चित्त रहता है। उसका वचन दूसरे के उपघात में प्रवृत्त रहता है। उसका आशय तीव्र रौद्रवाला होता है। इस वृत्ति वाले व्यक्ति को रुद्र परिणाम के कारण अनृतानन्द भी कहा . जाता है।
प्रबलरागद्वेषमोहस्य अनृतप्रयोजनवत् कन्याक्षितिनिक्षेपापलापपिशुनासत्यासद्भूतघाताभिसन्धान-प्रवणमसदभिधानमनृतं तत्परोपघातार्थमनुपरततीव्ररौद्राशयस्य स्मृतेः समन्वाहारः। तत्रैवं दृढ़प्रणिधानमनृतानन्दम्।
तभा २, पृ. २६७
३ सितम्बर २००६