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स्वसंवेदन (२) जीव की दो अवस्थाएं होती हैं-१. बद्ध, २. मुक्त। कर्म के बंधन से बंधा हुआ जीव बद्ध अवस्था का अनुभव करता है और कर्म से मुक्त जीव मुक्तावस्था का अनुभव करता है। ___बद्ध अवस्था में भी मुक्त अवस्था का अनुभव किया जा सकता है यदि भेद विज्ञान का प्रयोग कर आत्मा के द्वारा आत्मा की प्रेक्षा की जाए।
स्वसंवेदन के लिए आवश्यक है ज्ञस्वभाव आत्मा की प्रेक्षा करना और कर्मजनित समस्त भावों से अपनी भिन्नता का अनुभव करना।
कर्मजेभ्यः समस्तेभ्यो भावेभ्यो भिन्नमन्वहम्। ज्ञस्वभावमुदासीनं पश्येदात्मानमात्मना ।। यस्मिन् मिथ्याभिनिवेशेन मिथ्याज्ञानेन चोज्झितम्। तन्मध्यस्थं निजं रूपं स्वस्मिन्संवेद्यतां स्वयम्।।
तत्त्वानुशासन १६४,१६५
१५ अगस्त २००६
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