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तन्मय ध्यान का फल
तन्मय ध्यान के अनेक प्रयोग हैं। उनके द्वारा साधक अनेक कार्यों को सिद्ध कर सकता है।
जो इष्ट जिस कर्म का स्वामी है अथवा जिस कर्म के निष्पादन में समर्थ है, साधक उसके ध्यान से आविष्ट होकर तन्मय बन जाता है और अपने अभिलषित अर्थ की सिद्धि कर लेता है।
साधक सकलीकरण की क्रिया का प्रयोग कर कार्य निष्पादन में आने वाली बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
यो
यत्कर्मप्रभुर्देवस्तद्ध्यानाविष्टमानसः ।
ध्याता तदात्मको भूत्वा साधयत्यात्मवांछितम् ॥
तस्वानुशासन २००
ए
३ अगस्त
२००६
२४१