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आश्रव-संवर अनुप्रेक्षा बाहर से कुछ लेना, उसे संचित करना, उससे प्रभावित होना और उसके अनुरूप अपने आपको ढालना ये सब आश्रव की प्रक्रियाएं हैं। यही मानसिक चंचलता की प्रक्रिया है। संवर की क्रिया इसकी प्रतिपक्ष है। बाहर से कुछ भी लिया नहीं जाएगा तो उससे प्रभावित होने की परिस्थिति ही उत्पन्न नहीं होगी। इस स्थिति में मानसिक स्थिरता अपने आप हो जाती है।
११ जून २००६