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कषाय-प्रतिसंलीनता (४) लोभ की दो अवस्थाएं होती हैं१. अनुदित अवस्था २. उदित अवस्था
साधनाशील व्यक्ति संकल्प के द्वारा लोभ के उदय का निरोध कर सकता है और उदयप्राप्त लोभ को विफल कर सकता है। ये दोनों कार्य लोभ प्रतिसंलीनता के द्वारा किए जा सकते हैं।
लोभस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं।
ओवाइयं ३७
२३ मई २००६