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________________ ३५० ३५२ ३५४ ३५५ ३३३ ३३४ कलकल कुख कलाकार प्रकारका कलाकारका कलाकाराला इन्द्रिय चेतना : विषय और मन की अवस्थाएं ३४८ विकार (१३) ३२८ निर्विचार दिशा ३४६ इन्द्रिय चेतना : विषय और मनोनिरोध (१) विकार (१४) मनोनिरोध (२) ३५१ इन्द्रिय चेतना : विषय और मनोविजय का रहस्य विकार (१५) ३३० मनोविजय का उपाय ३५३ इन्द्रिय चेतना : विषय और उन्मनी भाव विकार (१६) चित्त की अवस्थाएं इन्द्रिय चेतना : विषय और लय ३५६ विकार (१७) ३३२ प्रेक्षा ३५७ इन्द्रिय चेतना : विषय और प्रेक्षाध्यान का ध्येय ३५८ विकार (१८) प्रेक्षाध्यान और परिवर्तन इन्द्रिय-विजय का फल (१) प्रेक्षाध्यान : भावों का इन्द्रिय-विजय का फल (२) उद्गम स्रोत इन्द्रिय-विजय का फल (३) ३३६ अर्हम् ३६१ इन्द्रिय-विजय का फल (४) ३३७ आत्मा के द्वारा आत्मा को देखें। ३६२ इन्द्रिय-विजय का फल (५) ३३८ कायोत्सर्ग संकल्प-विकल्प का नाश अंतर्यात्रा ३४० दीर्घश्वास प्रेक्षा ३६५ मन का उत्पाद ३४१ समवृत्ति श्वासप्रेक्षा ३६६ एक समय में एक मन ३४२ शरीरप्रेक्षा (१) ३६७ मन चंचल है ३४३ शरीरप्रेक्षा (२) पौद्गलिक मन ३४४ शरीरप्रेक्षा (३) ३६६ ज्ञानात्मक मन ३४५ शरीरप्रेक्षा (४) मन की एकाग्रता शरीरप्रेक्षा (५) ३७१ मन का एक आलम्बन शरीरप्रेक्षा (६) ३७२ पर सन्निवेश ३४७ ] वर्तमान क्षण की प्रेक्षा (१) ३७३ ३३५ ३६० ३३६ मन ३४६
SR No.032412
Book TitleJain Yogki Varnmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
PublisherJain Vishva Bharati Prakashan
Publication Year2007
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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