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तपोयोग : कायक्लेश
तपोयोग की साधना का दूसरा सूत्र है- आसन या कायक्लेश । शरीरगत चैतन्य केन्द्रों को जाग्रत करने के लिए आसनों का अत्यन्त महत्त्व है। आसन करने वालों के लिए चैतन्य केन्द्रों का ज्ञान होना जरूरी है। उस ज्ञान के आधार पर ही अनुकूल आसनों का चयन किया जा सकता है। ध्यान के लिए भी विशेष आसनों का चयन किया जाता है।
कायक्लेश का प्रयोजन शरीर को सताना नहीं, किंतु साधना के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शरीर की क्षमता को विकसित करना है।
२८ अप्रैल
२००६
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