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________________ पाठ १७ : स्त्रीप्रत्यय । . जर पिपासा शब्दसंग्रह भवानी, गौरी, रुद्राणी, मृडानी, शर्वाणी (पार्वती) । शबली (कर्बुर वर्णवाली, चितकबरी)। गवयी (रोज-एक प्रकार का पशु जो गाय के समान होता है) । हयी (घोडी) । अनडुही (गाय)। मत्सी (मछली) । कुक्कुटी (मुर्गी) । मक्षिका (मक्खी । यूका (जू)। शोणी (पीला और लाल वर्णवाली घोड़ी)। कमला (लक्ष्मी)। मातुली (मामी)। सिंही (शेरनी)। सर्पिणी (साँपिन)। मार्जारी (बिल्ली)। मणिपूच्छी (जिसकी पंछ में मणि है)। सुनासिकी (जिसकी नाक अच्छी है)। कृशोदरी (जिसका पेट पतला है)। सपत्नी (सौत) । इन्द्राणी (इन्द्र की स्त्री)। धातु-अर्ह-पूजायाम् (अर्हति) पूजा करना। अर्च-पूजायां (अर्चति) पूजा करना। तर्ज-भर्त्सने (तर्जति) भर्त्सना करना । गर्जशब्दे (गर्जति) शब्द करना । नर्द, गर्द-शब्दे (नर्दति, गर्दति) शब्द करना। तर्द-हिंसायां (तर्दति) हिंसा करना । कर्द-कुत्सिते शब्दे (कर्दति) खराब शब्द करना । खर्द-दशने (खर्दति) दंशना, काटना । चर्व-अदने (चर्वति) खाना । गर्व-दर्प (गर्वति) गर्व करना। धेनु, वधू, स्वस और मातृ शब्दों के रूप याद करो। (परिशिष्ट १ संख्या २०, ६१, ६२, ६३) अहं और तर्ज धातु के रूप याद करो (परिशिष्ट २ संख्या ५६, ५७) अर्च के रूप अहं की तरह चलेंगे। नई से लेकर गर्व धातु तक के रूप तर्ज की तरह चलेंगे। नियम नियम ८४ क-(गौरादिभ्यः २।३।२७) गौर आदि शब्दों से ईप् प्रत्यय होता है । गौरी, नदी, शबली, गवयी, हयी, अनडुही। न (main m. -.v...2 ईप् प्रत्यय परे होने पर । मत्सी। ग- (हसात् तद्धितस्य ८।४।७४)हस् से परे तद्धित के य प्रत्यय का का लोप हो जाता है, ईप् प्रत्यय परे हो तो । मनुषी। नियम ८५- (वयस्यचरमेतः २।३।२५) अंतिम वयस् (अवस्था) को छोड़कर शेष अकारान्त वयस् शब्दों से ईप् प्रत्यय होता है । कुमारी, किशोरी,
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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