SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छह अन्तर्गत 'सन्धि विचार' नामक शीर्षक में दिया गया है । प्रत्येक पाठ में संधि के ३ से लेकर ७ सूत्र तक दिए गए हैं, जो एक विषय से संबन्धित हैं। संधि के सूत्रों को खोल कर इतना स्पष्ट किया गया है कि विद्यार्थी सुगमता से संधि को समझ सकता है। १४ पाठ तक संधि के सूत्र दिए गए हैं। तीसरे. पाठ से तीसवें पाठ तक शब्दरूपावली के शब्दों को याद कराया गया है। 'प्रत्येक पाठ में एक या दो शब्दों के रूप याद कराए गए हैं। रूपों की समानता होने से कहीं-कहीं चार शब्दों को भी याद कराया गया है। उसकी तरह चलने वाले अन्य शब्दों का संकेत भी दिया गया है। इसी प्रकार गण की धातुओं के रूप तीसरे पाठ से लेकर बावनवें पाठ तक याद कराए गए हैं और अन्य धातुओं की सदृशता का निर्देश भी साथ में दिया गया है। उससे अगले पाठों में शब्द तथा धातु के रूपों को लिखवाया गया है जिससे रूप स्मृति में स्थिर हो जाएं। चौथे पाठ से शब्दसंग्रह प्रारंभ होता है जो अन्तिम पाठ बियासीवें तक चलता है। प्रत्येक पाठ में १५।२० शब्दों को अर्थ सहित दिया गया है, जिससे शब्दकोश समृद्ध बनता है। चौथे पाठ से चौबीसवें पाठ तक अव्ययों को दिया गया है। प्रत्येक पाठ में ४।५ अव्ययों को हिन्दी अर्थ सहित दिया गया है। पाठ में प्रयुक्त होने वाले अव्ययों तथा धातु रूपों को 'प्रयोगवाक्य' शीर्षक के अन्तर्गत संस्कृत में उनका वाक्य बनाकर दिया गया है । संस्कृत में अनुवाद करो' के अंतर्गत विद्यार्थी से संस्कृत में वाक्य बनाए गए हैं। प्रत्येक पाठ के अभ्यास शीर्षक में पाठ में पठित सामग्री के विषय में प्रश्न किए गए हैं। इस प्रकार एक शब्द का दो-तीन प्रकार से प्रयोग होने से वह स्थिर हो जाता है। कारक की सात विभक्तियों को सात पाठों में विस्तार से समझाया गया है। अव्ययीभाव समास के अव्ययों के अर्थ देकर, समास की पूर्व अवस्था सहित समास कर दिखाया गया है। १५ पाठों में तद्धितप्रत्ययों को विस्तार से समझाया गया है। प्रत्येक प्रत्यय को समझने के लिए पर्याप्त अवकाश दिया गया है। इसी प्रकार कृदन्त के प्रत्ययों को विस्तार से व्याख्या सहित समझाया गया है। प्रत्ययों के रूपों को बनाने की सरल विधि भी समझाई गई है। प्रथम परिशिष्ट में ७६ शब्दों के रूप दिए गए हैं। पहले तेरापंथ सम्प्रदाय में प्रचलित शब्दरूपावली सश्लोक दी गई है। उसके बाद कालुकौमुदी में समागत शब्दों के रूप अतिरिक्त शब्दावली के नाम से दी गई है। परिशिष्ट २ में १३२ धातुओं के सम्पूर्ण रूप तथा लगभग ४३१ धातुओं के १० लकारों के एक-एक रूप दिया गया है । परिशिष्ट ३ में लगभग ३६५ धातुओं के जिन्नन्त, सन्तन्त, यङन्त, यङ्लुगन्त और भावकर्म के तिबादि और द्यादि के एक-एक रूप दिए गए हैं। इनके प्रत्येक के एक-एक धातु के आत्मनेपद और परस्मैपद के सारे रूप दिए गए हैं। परिशिष्ट ४ में चार सौ से ऊपर धातुओं के क्त, शतृ, शान आदि १३ प्रत्ययों के रूप हैं।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy