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________________ पाठ १५ : संख्यावाची शब्द संख्यावाची शब्द एक से लेकर दस तक स्वतंत्र चलते हैं। उसके आगे ग्यारह से निन्नानवें तक यौगिक शब्द हैं। दो संख्याओं के योग से संख्यावाची शब्द का बोध होता है। (क) एक शब्द अकारान्त है, द्वि और त्रि शब्द इकारान्त हैं। चतुर् शब्द रकारान्त और षष् शब्द षकारान्त है । पंच, सप्त, अष्ट, दस शब्द नकारान्त है । दस से लेकर अठारह तक के शब्दों के अन्त में दशन् होने से दस की तरह रूप चलते हैं। एकोनविंशति से लेकर नवविंशति तक के शब्द विंशति की तरह चलते हैं। तीस से लेकर उनसठ तक के शब्द त्रिंशत् की तरह चलते हैं। एकोनषष्टि से लेकर नवनवति (६६) तक के शब्द ह्रस्व इकारान्त हैं। (ख) तीन से लेकर अठारह तक की संख्या बहुवचन में चलती है । एकोनविंशति से लेकर नवविंशति तक के सारे शब्द एक वचनान्त स्त्रीलिंग हैं । जहां इन संख्याओं में कई वर्गों का निरूपण करते हैं वहां इनमें बहुवचन भी होता है । जैसे--धर्मशास्त्रस्य विंशतयः पुस्तकानि संति (धर्मशास्त्र की वीसों पुस्तके हैं। एक से लेकर चार तक के शब्द तीनों लिंगों में व्यवहृत होते हैं । पांच से अठारह तक की संख्या के शब्द तीनों लिंगों में एक समान चलते हैं। विंशति, सप्तति, अशीति, नवति शब्द तथा ये जिनके अन्त में हों उनके रूप बुद्धि की तरह चलते हैं । त्रिंशत्, चत्वारिंशत्, पञ्चाशत् ये शब्द तथा ये जिनके अन्त में हों उनके रूप स्त्रीलिंग में सरित् की तरह चलते हैं। षष्टि का रूप स्त्रीलिंग में बुद्धि की तरह चलता है। (ग) शतं, सहस्र, अयुतं, नियुतं, प्रयुतं आदि शब्द नित्य एकवचनान्त नपुंसकलिंग शब्द है । इनके रूप नपुंसक के रत्न की तरह चलते हैं। (घ) सौ से ऊपर की संख्या के लिए बीच में अधिक शब्द जोड़ा जाता है । जैसे-एकाधिकं शतम् । द्वयधिकं शतम् । व्यधिकं शतम् । (ङ) दो सौ की संहा और तीन सौ की संख्या को दो प्रकार से कह सकते हैं। जैसे-द्विशती, शतद्वयम् । त्रिशती, शतत्रयम् । चार सौ से लेकर नौ सौ तक-चतुःशती, पञ्चशती, षट्शती, सप्तशती, अष्टशती; नवशती। (च) करोड़ (कोटि), दश कोटयः, अर्बुदं (अरब), खवं (खरब), नीलं (नील), पद्म (पद्म), शंखं (शंख), महाशंख (महाशंख), संख्येयं (संख्येय), असंख्येयं (असंख्येय), अनन्तं (अनन्त)।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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