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________________ ६२२ वाक्यरचना बोध सेवा करना-अनुकूलयति, आराध्नोति, आराध्यति, आराधयति, भजति, श्रयति, उपास्ते, शीलति, उपतिष्ठति, शीलयति, उपचरति, परिचरति, निषेवते, प्रासादयति, वरिवस्यति, अन्वास्ते, जुषते सन्मुख जाना—अभिगच्छति, अभिसरति, अभिसारयति स्तुति करना-नौति, स्तौति, प्रशंसति, श्लाघते, वर्णयति, ईट्टे, कवयति, ____ कवते, विकत्थते, अभिनन्दति, स्तुते, अभिवदते स्नान करना-अभिषणोति, स्नाति, आप्लवते स्पर्श करना-आमृशति, परामृशति, स्पृशति । स्मरण करना-स्मरति, ध्यायति, अध्येति, चिन्तयति स्वाद लेना-स्वदते, रोचते स्वीकार करना-परिगृह्णाति, उरीकरोति, ऊरीकरोति, उररी करोति, अङ्गीकरोति, स्वीकरोति, आद्रियते स्नेह करना-स्निह्यति । हर्षित होना-हृष्यति, तुष्यति, रमते, प्रीयते, माद्यति, नन्दति, मोदते हवा का चलना-प्रवहति, वाति हवा का लेना-व्यजयति, वीजयति हसना-हसति हाथों का फैलाना-अतिहस्तयति हाथी का गर्जना-वृंहते हाथी का प्रहार करना-परिणमसि हेषारव करना-हेषते है-अस्ति, विद्यते होना-भवति, उत्पद्यते, जायते, सिध्यति, निष्पद्यते, उदेति
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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