SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विशेषण और विशेष्य अन्तर्गतः । नियम ७४ – (नामिनो रोडबे १।३।५५ ) नामि (अवर्ण को छोड़ ) स्वरों से परे विसर्ग को रकार हो जाता है अब प्रत्याहार परे हो तो । मुनिः + अत्र = - मुतिरत्र । साधुः + आयाति साघुरायाति । बुद्धिरियम् । साघुरयं । === == नियम ७५– (रोरिलोपो दीर्घश्चादिदुत: १।३।३६ ) रकार से आगे कार हो तो पूर्व रकार का लोप हो जाता है और उससे पूर्व स्वर अ, इ, उ हो तो उन्हें दीर्घ हो जाता है । निर् + रक्त = नीरक्तं । दुर् + रमणीयंदूरमणीयं । पुनर् + रमते पुनारमते । प्रातर् + रौति = प्रातारीति । प्रयोगवाक्य ४५ == तस्य उन्मादं पश्य । प्रतिश्याये शीतलं पेयं न पेयं । कुशलचिकित्सकानां निदानं महत्त्वपूर्णं विद्यते । कृष्णा धेनुः मधुरं दुग्धं ददाति । इदं वस्त्रं श्वेतं कथं जातम् ? कृशो बालः बुद्धिमानस्ति पाठशालायां । वृक्षेऽस्मिन् कियन्ति पत्राणि हरितानि संति ? त्वं मंदं वद । अनाचारः अनाचरणीयोऽस्ति । अहोरूपं अहो ध्वनिः कस्याः कथायाः सारोऽस्ति ? देवेन्द्र: पुस्तकं वाञ्छति । दस्यवः जनान् आतङ्कन्ति । बालः खञ्जति । गुरोः शब्दाः अद्यापि गुञ्जन्ति । चोरः धनिकान् लुण्ठति । गुरुं मा निन्द्याः । भूप: नंदति । शिशुः क्रन्दति क्लन्दति वा । जननी पुत्रं चुम्बति । वयं पुस्तकं कांक्षामः । अभ्यास १. विशेषण और विशेष्य किसे कहते हैं ? २. विशेषण के भेद और प्रभेद कितने हैं ? ३. क्रियाविशेषण से आप क्या समझते हैं ? संस्कृत में अनुवाद करो यह कुशल चिकित्सक है । यह पल्यंक काला है । शर्बत मीठा है । सदा हितकारी भोजन करो । मोहन का बगीचा सुंदर है । जैन मुनि सफेद वस्त्र धारण करते हैं । नीलो गाय को देखो। मुझे लाल रंग दो । सज्जन पुरुष की संगति करो । दुष्ट व्यक्ति से दूर रहो । मामी कहां गिरी ? यदि तुम झुक जाते तो तुम्हारा कार्य हो जाता । काली गाय खेत में चर रही है। उसने मधुर पेय पीया था । प्रतिदिन पाव भर दूध पीना चाहिए । मोहन को दश सेर चावल दो। मुझे एक तोला घी दो । यह एक छटांक दूध है । तुम आधा मन पानी से नहाते हो। तुम वहां से पांच घड़ी पानी ले आओ । मण भर दूध कहां से आएगा ? महेंद्र धीरे-धीरे बोले । मोहन क्या चाहता है ? गुफा में शब्द गूंजते है । बालिका क्यों लंगडाती है ? पथिक को किसने लूंटा ? किसी की निंदा मत करो । राजा समृद्ध है । तुम क्यों रोते थे मां ने पुत्र का चुम्बन कब लिया ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy