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________________ ३०८ पक् पश् प्यायी प्रच्छंज् प्रथण् प्रथषङ् श्रींन्श् प्रीच् प्लुंङ् प्लुषु प्लुषुच् सांक् फल फुल्ल बधङ् बन्धंश् बल बाधृङ् बुक्क बुध बुधंच् बुधन् ब्रुडज् ब्रून्क् भक्षण् भक्षन् भजन् भञ्जर् पालनपूरणयोः पालन करना, पूरा करना पालनपूरणयोः पालन करना, वृद्धौ ज्ञीप्सायाम् प्रख्याने प्रख्याने तृप्तिकान्त्योः प्रीतौ गतौ दा भक्षणे निष्पत्तौ विकसने बन्धने बन्धने प्राणनधान्याव रोधयोः विलोडने भषणे अवगमने ज्ञाने बोधने निमज्जने व्यक्तायां वाचि अदने भक्षणे सेवायाम् आमर्दने पूरा करना बढना पूछना प्रसिद्ध होना प्रसिद्ध होना X जलाना खाना कार्य सिद्ध होना X सं वि सं X ५२४,५५१,५७४ खुशकरना, अभिलाषा सं ४७८, ५४४, ५५७,५७४ करना प्रेम करना कूदना जलाना फूलना बांधना X बांधना वि जीना, अनाज के संग्रह सं के लिए कोठा बनाना पीडा देना कुत्ते का भूंकना जानना जानना जानना डूबना बोलना खाना खाना सेवा करना मर्दनकरना सं सं वाक्यरचना बोध ५२८, ५५३ ५७० सं ४७८,५३४,५५४,५७४ X ५७४ सं ४७८, ५१४,५३२, ५४८, ५७४ x ५५४ वि ३६८, ५२४,५५१ X ५१२,५४७ सं ४८०, ५१२, ५४७, ५७४ ५४६ ४५०, ५७४ ४८० ४७८, ५१८,५५०, ५७४ ३५७,५७४ ४७८ X सं सं ४८०, ५२४,५५१ वि ३५३, ५७४ .५२२,५५० ४८० ४८०, ५१८,५४६, ५७४ ४५० X सं वि ३४५,५२८,५५२,५७४ X सं ५७६ ४८० ५२२,५५०,५७६ ४८०, ५४२, ५५७, ५७६.
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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