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________________ २६८ वाक्यरचना बोध ऋधूच एधङ् एष ङ् ओण कटे मदे 4. कडि कण्डून् कण कत्थ कथण कनी वर्ण 4.x कपिङ् कबृङ् कमुङ् कलण् कलङ् वृद्धो बढना x ५३० कम्पने कांपना वि ३७५,५०८ वृद्धौ बढना वि ३८३,५१८,५६० गतो जाना x ५२० अपनयने दूरकरना x ५१० वर्षावरणयोः वरसना, ढांकना सं ४६४,५१०,५४६ मद करना सं ४६४ गाजविघर्षणे खाजकरना ४६४ शब्दे शब्द करना सं ४६४,५१०,५४७ श्लाघायाम् प्रशंसा करना सं ४६४ वाक्यप्रबन्धे कहना सं ४६४,५४४,५६० दीप्तिगतिकांतिषु दीप्त होना, जाना, सं ४६४ शोभित होना चलने कांपना सं ४६४,५१८,५४६,५६० वर्णन करना ५१८,५४६ कान्तौ दीप्त होना ४६४,५६० संख्यानगत्योः गिनना, जाना सं ४६४ शब्दसंख्यानयोः शब्द करना, गिनना सं ४६४,५२०,५५० गतो जाना x ५२४,५५१,५६० काङ्क्षायाम् चाहना सं: ४६४,५१६,५४८,५६० दीप्तौ चमकना x ५३४,५५५ दीप्तौ चमकना सं ४६४,५२०,५५०,५६० शब्दकुत्सायाम् खांसना सं ४६४,५२०,५५० निवासरोगाप- निवास करना, रोग सं ४६४ नयनसंशयेषु को दूर करना, संशय करना शब्दे शब्द करना x ५२६,५५२ शब्दे शब्द करना ५१६,५४८ कौटिल्याल्पी- वक्रता करना, भावयोः कम करना x ५२२ उच्चःशब्दे जोर से बोलना x ५२२,५५१ संकोचने संकोच करना वि ४३३,४६४,५४०,५५६, ५६० कस । काक्षि काशच काशृङ् कासृङ् कित 'x xxx कुचज्
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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