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________________ विभक्तिबोध ११ 22 पर इनके अवर्ण को ऋण के ॠ सहित आर् हो जाता है । जैसे - + ऋणम् = प्रार्णम् । वसन + ऋणम् वसनार्णम् । कम्बल + ऋणम् - कम्बला - र्णम् । ऋण + ऋर्णम् = ऋणार्णम् । वत्सर + ऋणम् = वत्सरार्णम् । वत्सतर + ऋणम् =वत्सतरार्णम् । नियम १८- ( ऋत्युपसर्गस्य १।२।१६ ) ॠकार आदि वाली धातु परे होने पर उपसर्ग के अवर्ण को धातु के ॠ सहित आर् हो जाता है । जैसे - प्र + ऋच्छति = प्राच्छति । - नियम १६ - ( एदोतोऽतः पदान्ते १।२ । ३२ ) पदान्त में स्थित एत् और ओत् से आगे यदि 'अ' हो तो उसका लोप हो जाता है और 'अ' के स्थान पर 5 चिह्न लिखा जाता है । जैसे - ते + अत्र - तेऽत्र । पटो + अत्र = पटोऽत्र । अभ्यास १. विभक्ति किसे कहते हैं ? वे कितनी हैं ? २. विभक्तियों के चिह्न ( पहचान ) का सरल तरीका क्या है ? ३. अकार के आगे ऋण का ॠकार होने पर क्या बनता है तथा किन शब्दों से बनता है ? ४. उपसर्ग के अवर्ण को आर् कहां होता है ? ५. साधो --- अयम् — यहां सन्धि करने से क्या रूप बनेगा और किस नियम से बनेगा ? ६. संधि विच्छेद करो -- वसनार्णम्, ऋणार्णम्, कम्बलार्णम्, केऽत्र, लोकेऽस्मिन्, उपाच्छंति, पराच्छंति । ७. संधि करो - प्र + ऋणम्, वत्सर + ऋणम्, हरे + अव, अधीते + अधुना, अपवरके + अस्मिन्, विद्यालये + अस्मिन् प्र + ऋच्छति । ८. निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप बताओ - दूसरा, वह, तुम, जो, दोनों में एक, दो, सब । ६. जिन शब्द के रूप लिखो । १०. भू धातु के १० लकारों के रूप लिखो ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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