SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्त, क्तवतु प्रत्यय २४७ नियम ५४८ - (प्रादान आरम्भे क्ते तश् ४।४।३७) प्र उपसर्ग सहित दा धातु को तश् (त्) प्रत्यय विकल्प से होता है, आरंभ करने के अर्थ में। प्रत्तः, प्रत्तवान् । दातुं प्रारब्धवान् इत्यर्थः । नियम ५४६-(दत् ४।४।४०) पिद्वजित दा धातु को दत् आदेश होता है त आदि वाला कित् प्रत्यय परे हो तो। दत्तः, दत्तवान्, दत्तिः, दत्त्वा । नियम ५५०- (धानः ४।४।४५) धा धातु को हि आदेश होता है, क्त, क्तवतु प्रत्यय परे होने पर । विहितः, विहितवान् । नियम ५५१ - (विनिस्वन्ववेभ्यः ४।४।३८) वि, नि, सु, अनु और अव उपसर्ग सहित उभयपदी दा धातु को तश् (त्) आदेश विकल्प से होता है क्त प्रत्यय परे हो तो । वीत्तं, विदत्तम् । सूत्तं, सुदत्तम् । अनूत्तं, अनुदत्तम् । अवत्तं, अवदत्तम् । प्रयोगवाक्य श्रेष्ठिना भृत्यः हीनः । मोहनः मद्यपानं हीनवान् । भगवता महावीरेण संसारसमुद्रः तीर्णः । नाविकः नदी तीर्णवान् । वृक्षभिदा वृक्षः लूनः । दुष्टः तस्य हस्तं लूनवान् । साधुना कथा ख्याता । साध्वी कथां ख्यातवती । मात्रा कष्टेन सुतः पूर्तः । सा कुटुम्बं पूर्तवती । मुनिना कषायः शान्तः । सा विवादं शान्तवती। कः बालक: घटं भिन्नवान् ? भगिन्या भ्रात्रे पत्र दत्तम् । का तस्यै पुस्तकं दत्तवती ? भ्रातृजायया अन्नं पक्वम् । सूर्यातापेन सर्वं नीरं शुष्कम् । संस्कृत में अनुवाद करो (क्त प्रत्यय के प्रयोग करो) आचार्य श्री ने पानी कब पीया था ? साधु गांव कब गये थे ? क्या तुमने साधुओं को वंदना की ? गोपाल ने यह कार्य क्यों नहीं किया ? बिल्ली ने लड्डु कब खाये ? अध्यापक ने यह पुस्तक कब पढी ? बालक क्यों रोया ? तुम कब जागे ? राजा ने अपने मित्र की सहायता के लिए प्रचुर सेना युद्ध में भेज दी। वक्त पड़ने पर भी जो काम न आये वह मित्र किस काम का । मयूरों ने आकाश में बादल देखे और नाचना शुरू किया। मुर्गी अपने बच्चों को देखने के लिए दौडी । राजा ने मित्रता का अच्छा निर्वाह किया। क्रियाविशेषण के रूप में क्त प्रत्यय का प्रयोग करो __मेंरे द्वारा पढी हुई पुस्तक कहां है ? रमेश द्वारा दिया गया धन कहां है ? ग्वाले द्वारा दुही गई गाय कौन सी है ? किसान द्वारा बोया हआ बीज कहां है ? विनय द्वारा स्तुति किये गये देव कौन से हैं ? (क्तवतु के प्रयोग करो) चोर ने एक व्यक्ति को मार दिया । तुम
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy