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________________ पाठ ७१ : खश् और णिन् प्रत्यय शब्दसंग्रह क्षुरम् (उस्तरा ) । क्षुरकम् (ब्लेड) | उपक्षुरम् (सेफ्टी रेजर ) । कर्तनी (बाल काटने की मशीन ) । शस्त्रमार्ज : (धार करने वाला) । तैलकारः (तेली) । रसयन्त्रम् ( कोल्हू ) । अयस् (लोहा, आयरन ) । वृश्चनः ( छेनी) । यान्त्रिक : ( मिस्त्री, मैकेनिक) | पादुरञ्जकः ( पालिश ) । भ्राष्ट्रम् ( भाड ) । भृष्टकार : ( भडभूजा ) । नीली ( नील) । शिल्पशाला ( फैक्टरी) । मिल: ( मिल) । आविध: (बर्मा) । सूत्रम् (धागा) । सूचिका ( सूई) । चर्मप्रभेदिका ( जूता सीने की सूई ) । उपानह ( जूता, बूट) । पादुका ( चप्पल) । अनुपदीना ( गम बूट ) | नीलीकरोति (नील लगाना) । अयस्करोति (लोहा करना, आयरन करना) । खश् और णिन् प्रत्यय धातुओं से होते हैं । में शब्द कर्मरूप में होता है । णिन् प्रत्यय के योग में है । खश् प्रत्यय कर्त्ता के रूप में व्यवहृत होता है । इसके उपपद ( पूर्वपद ) पष्ठी विभक्ति होती 1 जिन की तरह और स्त्रीलिंग में ईप् लगाकर नदी की तरह चलते हैं । नियम इसके रूप पुल्लिंग में नियम ६२३. (खित्यनव्ययस्वरान्तारुषां मुम् हस्वश्च ३।२।१३९). अव्यय वर्जित स्वरान्त शब्द और अरुष शब्द को मुम् (म्) का आगम होता है और प्राप्ति होने पर ह्रस्व भी हो जाता है ख् इत् जाने वाला प्रत्यय परे हो तो । इस सूत्र से खश् प्रत्यय में सर्वत्र मुम् का आगम और ह्रस्व हो जाता है । नियम ६२४ - ( मन्याण्णिन् ५।२।४६ ) कर्म उपपद में हो तो मन् (मन्यते ) धातु से णिन् प्रत्यय होता है । पण्डितं मन्यते बन्धुं - पण्डितमानी बन्धोः । दर्शनीयां मन्यते भार्याम् दर्शनीयमानी भार्यायाः । नियम ६२५ - (आत्ममाने ख‍ ५०२०४७ ) कर्म उपपद में होने पर मन् (मन्यते ) धातु से आत्म (स्वयं) के मानने के अर्थ में खश् प्रत्यय होता है । पण्डितं आत्मानं मन्यते = पण्डितंमन्यः । पवीं आत्मानं मन्यते = पट्विमन्या । विद्वन्मन्यः, विदुषिमन्या । णिन् प्रत्यय भी — पण्डितं आत्मानं मन्यते पण्डितमानी । पटुमानिनी, विद्वन्मानी, विद्वन्मानिनी । -- नियम ६२६ - ( एजे: ५।२।४८ ) कर्म उपपद में हो तो एजयति
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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