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________________ २१० वाक्यरचना बोध हिमति महिमाम्भोजे चण्डानिलत्युदयाम्बुदे । द्विरदति दयारामे क्षेमक्षमाभृति वज्रति । समिधति कुमत्यग्नौ कन्दत्यनीतिलतासु यः। . किमभिलषता श्रेयः श्रेयः स निर्गुणसंगमः ॥२॥ इयं महिला अप्सरायते। छात्रः पण्डितायते । अग्निः धूमायते । साधुः सदा सुखायते । नारकः दुःखायते । गुरुः मुण्डयति शिष्यम् । माली वृक्षयति । श्यामः मध्वस्यति । __ संस्कृत में अनुवाद करो - महेन्द्र बाजार से अगर, अकरकरा, आक, अभ्रक और गंधक किसके लिए लाया है ? अजवायन खाने से पेट की वायु नष्ट होती है। यह अमरबेल है । अमलतास का क्या उपयोग है ? असगन्ध शक्तिप्रद होता है। इषबगोल कब्जियत को दूर करता है । खसखस ठंडा होता है। बुखार को दूर करने के लिए वैद्य गिलोय भी देते हैं । गुग्गुल वायु को दर्द को नष्ट करता है। नामधातु का प्रयोग करो। मदन धन चाहता है। माणक पुत्र चाहता है। सुव्रत दही खाना चाहता है । प्रताप नौकर को भी स्वजन की तरह मानता है। भिखारी अपनी झोपडी को भी महल की तरह मानता है। शील के प्रभाव से अग्नि भी पानी की तरह हो जाती है। यह व्यक्ति गदहे की तरह आचरण करता है। यह पक्षी हंस की तरह आचरण करता है ।यह दूध पानी की तरह है । साध्वी तप करती है। मृदुभाषी जनों के शत्रु भी मित्र जैसे बन जाते हैं। अभ्यास १. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो राजनति, सरायते, ओजायते, उत्सुकायते, तृणायते, सुखायते, दु:खायते। २. हिंदी में अनुवाद करो___ महेन्द्र: मातुलाय यवनिकां ददाति । केचित् ईषद्गोलं दुग्धेन सह, केचित् नीरेण साकं, केचिच्च दध्ना समं खादन्ति । बाल: मध्वस्यति । उष्ट्र: गर्दभति । इदं गोरसं पयस्यते । इयं रमणी अप्सरायते । काकोऽपि हंसायते । ३. निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप बताओ आक, अभ्रक, अजवायन, खसखस, गुग्गुल, गोखरू । ४. अनुभव अर्थ में किन-किन शब्दों से नामधातु बनती है ? ५. नामधातु बनाने के लिए करण आदि अर्थ कौन-कौन से हैं ? ६. कर्तावाची अकारान्त और सकारान्त शब्दों की उपमा दी जाए उन शब्दों से आचार अर्थ में नामधातु कैसे बनती है ? ७. अकारान्त शब्दों से इच्छा के अर्थ में और द्वितीयान्त शब्दों से आचरण के अर्थ में नाम धातु का क्या रूप बनता है, उदाहरण सहित लिखो।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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