SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६४ वाक्यरचना बोध तावान्, एतावान् पटः । नियम ४२३– (यत्तकिम: संख्याया डतिर्वा ७।४।४३) प्रथमान्त यत्, तत्, एतावत् शब्द संख्यावाची के अर्थ में हो तो डति और अतु दोनों प्रत्यय हो जाते हैं, वे शब्द संख्येय मेय के वाचक हों तो। संख्या मानं एषां यति, यावन्तः । इसी प्रकार तति, तावन्तः । कति, कियन्तः । नियम ४२४- (अवयवात् तयट ७।४।४४) प्रथमान्त संख्यावाची शब्द अवयववाची हो तो षष्ठी के अर्थ में तयट प्रत्यय होता है, यदि अवयवी का बोध हो तो। चत्वरोऽवयवाः अस्य= चतुष्टयः । एवं पंचतयो यमः, दशतयो धर्मः । नियम ४२५– (द्वित्रिभ्यामयड् वा ७।४।४५) प्रथमान्त द्वि और त्रि शब्द अवयव अर्थ में हो तो षष्ठी अर्थ में अयट् प्रत्यय विकल्प से होता है, यदि अवयवी का बोध हो तो । पक्ष में तयट भी होता है। द्वौ अवयवौ अस्य द्वयम् तपः, द्वितयं तपः । त्रयं जगत् । प्रयोगवाक्य यदा नद्यां ऊरुदध्नं ऊरुद्वयसं वा जलं आसीत् तदा सः तस्यां स्नातुं अव्रजीत् । तुभ्यं कियत् घृतं रोचते ? मह यं इयत् वस्त्रं रोचते । नेतुः भाषणे कति पुरुषाः आसन् ? यावन्तः माः प्रातः प्रवचने आसन् तावन्तः रात्रौ प्रवचने नासन् । चतुष्टयोऽयं मोक्षमार्गः । महावीरेण द्वितयं तपः प्रोक्तम् । तस्य धनं कथं अनशत् ? वृक्षेषु बहूनि फलानि जायन्ते । ललितः कथं खिद्यते ? आचार्यः मां बुध्यते । भूपः शत्रुभिः सह युध्यते । सा मुधा क्लिश्यते । संस्कृत में अनुवाद करो काव्य प्रतियोगिता में किसने इनाम जीता ? आजकल प्रायः लोग इन्कमटैक्स देना नहीं चाहते । तुम्हारे मकान का किराया कितना है ? प्रान्त की हर सीमा पर चूंगी घर है । यदि तुम जुर्माना दोगे तो बच जाओगे । भारत में कितने बडे कस्बे, बडे गांव और बडे शहर हैं ? अहमदाबाद एक व्यापारी नगर है। जीवन शहर के पास की बस्ती में रहता है । कठिन रास्ते को शीघ्र पार करो। इस गली में अन्धेरा है । यह पगडंडी कहां जाती है ? वृक्षों की छाया वाले रास्ते से सभी जाना चाहते हैं। तद्धित के प्रत्ययों का प्रयोग करो जब इस नदी में घुटने जितना पानी हो तब तुम मुझे बतलाना। जब बालक नदी में गिरा तब उसमें छाती जितना पानी था। तुम बाजार से कितना वस्त्र लाओगे ? इतनी मिठाई मत खाओ। जितने व्यक्ति यहां हैं वे सब प्रवचन सुनें । ब्रह्मचर्य चौथा महाव्रत है । धर्म के दश प्रकार हैं । महाव्रत के पांच अवयव हैं । नदी में कटि जितना पानी है । कितनी गायें बाहर जाती
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy