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________________ १२४ वाक्यरचना बोध प्रयोगवाक्य सुरेन्द्रः कदा भोजनं अत्स्यति प्सास्यति वा ? कनकमाला मिष्टान्नं कदा जबास पप्सो वा? चेत् बालः मिष्टान्नं न आत्स्यत् तदा न रुग्णोऽभविष्यत् । गगने एतद् किं भाति ? दरिद्रः कूत्र यास्यति ? त्वं कुत्र अयासीः ? किं अरण्यवासिनः कदापि न स्नान्ति ? दुर्बलं कः पाति ? पापेभ्यः आत्मानं सर्वदा पाहि । आचार्यः सुधर्मा जम्बू किं आचख्यौ ? सुरेन्द्रः गृहं कदा यास्यति ? शैलेशः नगरं अयासीत् । संस्कृत में अनुवाद करो ___ गणेश का दुपट्टा कहां है ? सुरेन्द्र की रूमाल कौन सी है ? शीला का सलीपर किस पेटी में है ? इस साडी की क्या कीमत है ? जैन साधु जूते नहीं पहनते । सतीश के दादाजी की पगडी और कुर्ता कहां है ? राजेश का अंगोछा साफ है। यह तकिया रूई का है। सर्दी में कंबल और रजाई का बहुत उपयोग लेपहनने स्वहित नापमानसी नो रंग कैसा है ? कोट पर क्या लिखा है ? मैं आज भोजन नहीं करूंगा ? वृक्ष पर क्या शोभित होता है ? संजय प्रतिदिन स्नान नहीं करता । अपनी आत्मा की रक्षा करो। सुनील को अध्यापक ने क्या कहा ? यदि तुम मेरी रक्षा करते तो मैं तुम्हारी रक्षा करता। यहां किसने स्नान किया था ? एकशेष के प्रयोग करो आप और मैं क्या करें ? भाई और बहन पढते हैं। पुत्र और पुत्री खेलती हैं । आपके पिता और माता कब आयेंगे ? सास और श्वसुर बहू को प्यार करते हैं । ब्राह्मण और ब्राह्मणी जाते हैं। अभ्यास . . १..निम्नलिखितों के एकशेष समास के रूप बनायें (१) जिनश्च जिनश्च जिनश्च (२) वीरश्च वीरश्च (३) स च अयं च (४) त्वं च अहं च (५) सा च चैत्रश्च (६) सा च कुण्डे च (७) सा च कुण्डं च (८) भ्राता च भगिनी च (8) सुतश्च दुहिता ... च (१०) पिता च माता च (११) श्वश्रूश्च श्वसुरश्च (१२) कुक्कु टश्च कुक्कुटी च । . २. नीचे लिखे शब्दों के अर्थ बताओ - लहंगा, कुर्ता, कोट, पायजामा, अंगोछा, रूमाल, सलीपर । . ........ .......... ..............: . .. ४. नीचे लिखे संयुक्त लिंगों में कौन सा लिंग शेष रहता है . स्त्रीलिंग और पुल्लिग में, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग में, पुल्लिग और नपुंसकलिंग में, भ्रातृवाची शब्द और स्वसवाची शब्दों में, पुत्रवाची शब्द और दुहितृवाची शब्दों में............... ५. मातृ शब्द के साथ पितृ शम्द हो तो क्या शेष रहता है ?
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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