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________________ दस यह भी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें उपसर्ग से धातुओं के परिवर्तित अर्थ, १३२ धातुओं के पूरे रूप तथा ४३१ धातुओं के दस लकारों के एक-एक रूप दिये गए हैं। यह कार्य सर्वथा नवीन है। इन सब उपयोगी चीजों को देखते हुए यह निश्चय रूप से कहा जा सकता है कि यह पुस्तक अद्यावधि प्रकाशित व्याकरण ज्ञानोपयोगी समस्त पुस्तकों में सर्वाधिक उपयोगी है। यह न केवल व्याकरण शास्त्र की पुस्तक है अपितु जैसा कि इसका नाम है यह पुस्तक संस्कृत वाक्य रचना के लिए बहुत ही उपयोगी है। __ इस पुस्तक के सम्पादन में मुनि श्रीचन्द्रजी 'कमल' तथा विमल मुनिजी का श्रम सर्वथा श्लाघ्य है। व्याकरण जैसे कठिन और शुष्क विषय को उपयोगी एवं सर्वग्राह्य संस्करण को बनाने हेतु मुनिद्वय के श्रम की जितनी प्रशंसा की जाये वह थोडी है । जिज्ञासु व्यक्तियों को संस्कृत वाङ्मय में प्रवेश के लिए यह पुस्तक अजिह्मा राजपद्धति है। इसके विश्वजनीन प्रसार की कामना के साथ । विश्वनाथ मिश्र पूर्व प्राचार्य २१ जनवरी, १९६० गवर्नमेन्ट संस्कृत कॉलेज जैन विश्व भारती बीकानेर . लाडनूं जैन विश्व भारती लाडनूं युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ द्वारा रचित मुनि श्रीचन्दजी और मुनि विमल कुमारजी द्वारा सम्पादित 'वाक्यरचना बोध' नामक संस्कृत ग्रन्थ आधुनिक शैली में लिखा गया है। प्रारम्भिक संस्कृत ज्ञान के लिए व्याकरण के उन सभी बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है जिनके द्वारा विद्यार्थी सरलता से संस्कृत भाषा में योग्यता प्राप्त कर सकता है। साधारणतः संस्कृत व्याकरण लिखते समय विद्वानों को काफी चिन्तनमनन करना पड़ता है। इसमें मन का तात्त्विक रूप से भी चिन्तन रहता है। व्याकरण और भाषातत्व का ज्ञान करते समय कुछ बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देना होता है। भाषा पढते समय हम व्याकरणांश को चार श्रेणी में विभाजित करते प्रथम विभाजन-जिसका नाम है ध्वनि तत्त्व। ध्वनि-तत्त्व में ध्वनियां कितनी, ध्वनि का उच्चारण, रीति, ध्वनि का स्वरूप-विश्लेषण आदि का उल्लेख किया जाता है। . द्वितीय विभाजन में रूपतत्त्व पर प्रकाश डाला जाता है। रूपतत्त्व का अर्थ है शब्द की गठन प्रणाली का स्वरूप विश्लेषण। इसमें शब्द-रूप, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया, क्रियाविशेषण, उपसर्ग, संयोजक और मनोभाव
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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