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________________ पाठ २५ : कर्ता का क्रिया के साथ अन्वय शब्दसंग्रह ग्रास: (कोर) । वटक: (बडा)। शाकः (साग)। खण्ड: (खांड) । बुभुक्षित: (भूखा) । तृषितः (प्यासा) । निघसः (भोजन) । पाथम् (पानी)। कुण्डलिनी (जलेबी)। नवनीतम् (मक्खन)। घृतम् (घी) । दधि (दही)। पुंसवनम् (दूध)। मोदकः (लड्डू)। पक्वान्नम् (पकवान) । तक्रम् (मट्ठा, छाछ) । दाधिकम् (लस्सी)। पिष्टिका (कचौडी)। राज्यक्तम् (रायता) । पायसम् (खीर)। धातु-स्पदिङ्---किञ्चिन्चलने (स्पन्दते) स्पन्दित होना, चलित होना। ददङ्-दाने (ददते) देना। स्वदङ्, स्वाद-आस्वादने (स्वदते, स्वादते) आस्वादन करना। बाधृङ्-बिलोडने (बाधते) पीडा करना । दधङ् -धारणे (दधते) धारण करना। टुवेपृङ्, कपिङ्-चलने (वेपते, कम्पते) कांपना । त्रपूषङ्- लज्जायाम् (त्रपते) लज्जित होना । डुलभषङ् --प्राप्ती (लभते) प्राप्त करना । क्षमूषङ्-सहने (क्षमते) सहन करना । मुदङ्-हर्षे (मोदते) हर्षित होना । एधङ्-वृद्धी (एधते) बढ़ना। अदस् और इदं शब्द के रूप याद करो (देखें परिशिष्ट १ संख्या ३६,३७) । एधङ धातु के रूप याद करो (देखें परिशिष्ट २ संख्या ६६) स्पदिङ् से लेकर मुदङ् तक के रूप वदिङ् की तरह चलते हैं । एक साथ कर्ता दो हों तो द्विवचन की क्रिया, कर्ता तीन या तीन से अधिक हों तो बहुवचन की क्रिया आएगी। क्रिया किस कर्ता के अनुसार होगी उसके लिए नियम ध्यान से पढ़ें। नियम १. (त्यदादिः ३११११३६) २. (पुमान्स्त्रिया ३।१।१४२) ३. (नपुंसकमनपुंसकेनैकत्वं च वा ३।१।१४४) क-कर्ता प्रथमपुरुष, मध्यमपुरुष और उत्तमपुरुष-इन तीनों पुरुषों के एक साथ हों तो क्रिया उत्तमपुरुष के अनुसार चलेगी। जैसे—स: अहञ्च गच्छावः । स त्वं अहञ्च पठामः । अहं युवाञ्च ॥४ामः । ख--कर्ता यदि प्रथमपुरुष और मध्यमपुरुष के एक साथ हों तो क्रिया मध्यमपुरुष के अनुसार चलेगी। जैसे-स त्वं च पठथः । तौ त्वं च पठथ ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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