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________________ -ललित-विस्तरा में वर्णित विविध लिपियाँ जैन साहित्य लेखन-परम्परा -श्वेताम्बर-परम्परा -दिगम्बर–परम्परा पाण्डुलिपि का प्रारम्भिक रुप-शिलालेख एवं उनका महत्व -खारवेल-शिलालेख एवं उसका ऐतिहासिक महत्व -कर्नाटक के जैन-शिलालेख -कर्नाटक के जैन केन्द्र -कर्नाटक के महान साहित्यकार -कर्नाटक के जैन सेनापति गंग-वंश और उसके संस्थापक आचार्य सिंहनन्दि -राष्ट्रकूट-वंश -कर्नाटक की यशस्विनी महिलाएँ होयसल-वंश के संस्थापक सुदत्त-वर्धमान -दक्षिण का चालुक्य-वंश -घट्याला (जोधपुर) का कक्कुक-शिलालेख जैन-पाण्डुलिपियोः ताड़पत्रीय एवं कर्गलीय प्रशस्तियों में उपलब्ध कुछ रोचक सामग्री -कुछ उपलब्ध महत्वपूर्ण जैन-पाण्डुलिपियाँ सम्राट शाहजहाँ की २४ हजार प्रिय पाण्डुलिपियाँ जैन पाण्डुलिपियों का प्राच्य फारसी भाषा में अनुवाद मुस्लिम बादशाहों द्वारा जैन-लेखकों का सम्मान फारसी भाषा में लिखित ऋषभ-स्तोत्र हमारा विस्मृत अथवा त्रुटित पाण्डुलिपि-साहित्य प्रकाशित कुछ पाण्डुलिपि-सूचियाँ विदेशों में भारतीय पाण्डुलिपियाँ मास्को (रूस) के प्राच्य शास्त्र भण्डारों में सुरक्षित जैन पाण्डुलिपियों की सूची विविध सन्दर्भो से ज्ञात ऐतिहासिक मूल्य की लुप्त-विलुप्त अथवा अनुपलब्ध कुछ प्रमुख जैन पाण्डुलिपियाँ भारतीय वाङ्मय का ऐतिहासिक मूल्य का एक गौरव-ग्रंथ -कातन्त्र व्याकरण एवं -पासणाहचरिउ आदि जैन-पाण्डुलिपियों के प्रकाशन में गणेश वर्णी दिगम्बर जैन शोध-संस्थान का योगदान
SR No.032394
Book TitleJain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherFulchandra Shastri Foundation
Publication Year2007
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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