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________________ यदि ज्यादा ही किसी का अहित या ईर्ष्या करने का प्रसंग आता है तो यह अज्ञान का उदय है, तब यह विचारो बुरा जो मैं देखन चला, बुरा न मिलिया कोय । हि खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥ जिसकी होनहार भली है भवितव्वं जस्स सुहं, तेहिंतो होदि सुक्कडं बहुगं । सुही जणाणं संगं, धरेदि सच्चं च सो धम्मो ॥33॥ अन्वयार्थ - (जस्स) जिसका (भवितव्वं) भवितव्य (सुहं) शुभ है ( तेहिंतो ) उससे (सुक्कडं) सुकृत (बहुगं) बहुत (होदि) होते हैं (सो) वह (सुहीजणाणं संगं) सुधीजनों की संगति ( सच्चं ) सत्य (च) और (धम्मं) धर्म को (धरेदि ) धारता है । अर्थ - जिसकी होनहार अच्छी है, उससे बहुत सुकृत होते हैं । वह सुधीजनों की संगति, सत्य और धर्म को धारण करता है । व्याख्या – जब किसी धर्मात्मा जीव पर भी अत्यधिक वात्सल्य उमड़े तब ऐसा विचार करना चाहिए कि जिसकी होनहार अच्छी है, उस जीव से बहुत सुकृत्य होते ही हैं। ऐसा जीव सज्जनों की संगति, सत्यादि गुण तथा आत्मानुभवरूप धर्म को धारण करता ही । 'भव्याभव्यभावशून्योऽहम्' । कर्मोदय में मोही मोहित होते हैं कम्मस्स णोकम्मस्स, परिणदिं दट्ठूण सुहासुहं विविहं । मोही मुज्झदि णिच्छं, सण्णाणी ण मुज्झदि कदा वि ॥34॥ अन्वयार्थ – (कम्मस्स णोकम्मस्स) कर्म व नोकर्म की (सुहासुहं विविहं) शुभाशुभ विविध (परिणदिं) परिणतियाँ ( दट्ठण) देखकर (मोही) मोही जीव (णिच्वं) सदा (मुज्झदि) मोहित होता है (दु) किन्तु ( सण्णाणी) सम्यग्ज्ञानी (कदावि) कभी भी (ण मुज्झदि) मोहित नहीं होता है। अर्थ-कर्म व नोकर्म की शुभाशुभ विविध परिणतियाँ देखकर मोही जीव नित्य ही मोहित होता है, किन्तु सम्यग्ज्ञानी कर्भी भी मोहित नहीं होता है। व्याख्या - अज्ञानी जीव ज्ञानावरणादि कर्म व औदारिकशरीरादि नोकर्मों की शुभ-अशुभ उदयादि विविध परिणतियों को देखकर उनमें अहं व मम बुद्धि होने के कारण नित्य ही मोहित होता हुआ नए-नए कर्मों का आस्रव-बंध करता है। जबकि ज्ञानी ज्ञान के बल से वस्तु स्थिति को जानता हुआ कर्म-नोकर्म की विविध दशाओं में मोहित नहीं होता है । इस कारण आस्रव-बंध भी नहीं करता हुआ कालांतर में सिद्धावस्था को पा लेता है। अज्झप्पसारो : : 267
SR No.032393
Book TitleSunil Prakrit Samagra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain, Damodar Shastri, Mahendrakumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2016
Total Pages412
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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