SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रंगा कोठारी घरि भणउं तु । सोलम जिणेसर स्वामी रे। चौद जिनवर तिहां भावीआ तु । सेठि कुंअरजी परि पामी रे ॥९३ जिन ॥ विश्वसेन कुल माहइं दिनकरू तु । चौद पडिमा तिहां भावी । अनंत गुण छइ जिनजीना तु । वयणे अमृत श्रावी ।९४जिन चाणसमइ ते पूजइ तु । भट्टेवु श्री पास रे। चउत्रीस प्रतिमा निरषतां तु । पूगी मननी आस रे।९५जिन कंबोईइ सिरिपासजी तु । पडिमा पंच विचार रे । भमतीइ सोल बिंब अछइ तु । मुंजपुरि णिजिन सार रे ॥ ॥९६॥ जिन०॥ ॥ एहवउ रूअड्डु रे नारिंगपुर ॥ ए ढाल ॥ २३ ॥ मई भेटिउरे संखेसर श्रीपासजी रे । ध्याय उ हईडा मांहि । गुणसागर रे २ भविअण जननई सुखकरू रे । जस नामई रे नवनिधि घरि सवि संपजइ रे । आवइ वरण अढार वंदइ रे २ भावई घराणद पुरंदरूरे॥९॥ इम स्वामी रे सविजननइ छइ हितकरु रे । जोतां आनंद होइ । मुख सेहिइ रे २ निरुपम पूनिम चंद जि ॥ आंचली॥ [सउ रे ॥ इम० जस महिमा रै त्रिभुवनमांहई व्यापीउ रे। नमइ अमरनरिंद । पूजइ रे २ व्यंतर ज्योतिष दिवाकरू रे।
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy