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________________ तेत्रीस प्रतिमा अवर भणी । रत्नमय छइ वली एक रे । सोप बिंब वलीजुहारीइ । अरचीइ पुष्फि विवेक रे।पेषु०॥१॥ ॥तस्तलि नरपति छाहडी ए ढाल ॥ १२॥ मोहन पास जुहारीइ जी। गालू संघवी ठामि । छवीस पडिमा वंदी करो जी। कीजइ जनम मुकाम ॥२॥ मुगुणनर भेटउ श्री जिनराय । हईडलइ भाव धरी घणउ जी। . आंचली ॥ [पूजउ त्रिभुवनराय ।। हेमराज देहरासरि भणुं जी। सुमति जिणेसर देव । इक पडिमा वली तिहाँ अछइजी । त्रिभुवन सारइ सेव ॥३॥मु० राजधर संघवी घरि थुगुं जी । विमल जिणेसरस्वामि । च्यारि प्रतिमास्युं सोहती जी । जईइ लटकण ठामि ॥४॥मु० शांति जिणंद तिहां पेषीआ जी। बार प्रतिमा वली होइ । भंडारी पाटकि हुं नमुंजी । पास पडिमा तिहां जोइ ॥६॥ मु० च्यारि प्रतिमा वली तिहां कही जी।पाटक भाभानिपास। इकावन पडिमा पूजीइ जी। पूरइ वंछित आस ॥ ६॥ सु० तेजपाल सेठि देहरासरि जी । धर्म जिणेसर स्वामि। सतर पडिमा पूजतां जी। सीझइ वंछित काम ॥ ७॥ सु० सहसकिरण घरि निरपीआ जी । सुमति श्रीजिनराय । पंचवीस पडिमा अरचीइ जी। पंचायण घरि आइ॥८॥९०
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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