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________________ 68 बीजइ देहरइ वीरजिन ए । पोढी पडिमा एक । नारिंग०॥१९॥ फोफलिआवाडइ पढम जिन अट्ठोत्तर जिनबिंब । ना० ॥६॥ वीजें देहरुं शांतिनु ए । पडिमा पंचवीस होइ । ना० ॥६१ ॥ देहरइ राजा सेठिनइ ए । वंदउ संभव देव । ना० ॥२॥ पडिमावीस तिहां दीपती ए । काछेलानइ चैत्य। ना०॥६॥ मुनिमुव्रत जिन पूजीइ ए । पडिमा बार विचारि। ना० ॥६४॥ सेठि वीरजी देहरासरि ए। पूजउ पास जिणंद । ना०॥६॥ पडिमा च्यारि ज सोहती ए । थावर पारषि गेह । ना०॥६६॥ छयालीस पडिमा दीपती ए । सेठि महुला घरि आवि ।। ना० ॥६७॥ मुनिसुव्रत जिन वंदीआ ए । प्रतिमा पन्नर सार । ना० ॥६॥ सेठि ककू देहरासरू ए । चउत्रीस पडिमा पास । ना०॥६९॥ सेठि राजा देहरासरू ए । छत्रीस बिंबज नेमि । ना०॥७॥ दोसी वछा घरि आवीआ ए। पूजीआ पास जिणंद । ना० ॥ ७१॥ पन्नर पडिमा वंदीइ ए। पंचमइ देहरइ पास । ना०॥ ७२ ॥ प्रतिमा दस तिहां दीपतीए । वंदी आणी भाव । ना० ॥७३॥ ॥ ढाल ॥ वइरसेनराइं व्रत ली ए० ॥९॥ जोगीवाडइ आवीआ ए । प्रभु पासजिणेसर भावीआ ए। पडिमा वीस तिहां वंदीइ ए । सयल पाप निकंदीइ ए॥७४।।
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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