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________________ ७२ ॥ ढाल ऊलालानउ ॥६॥ पाटकि सहानइ' ए आवी । आदि जिणंद तिहां भावी सत्यासी पडिमा ए देषी। . रायसिंघ घरि शांति निरषी ॥ ४३ ॥ सत्तरि कंदी बिंब तिहां वंदी । पाप अढारइ निकंदी । कंसार वाडइ ए दीठा । शीतल जिनवर बईठा ॥४४॥ द्वादश बिंब ए नमीआ । आठ महाभय ए शमीा । बीजइ शांतिजिन पूज्या । बावीस पडिमाए बूझ्या ॥ ४५॥ सहा चांपानइ घरि । बिंब सोल देहरासरि । रयणमइबिंब बइ ठवीआं । चउथा सहा घरि नमीआं॥४६॥ वंद्या पास जिणंद । चउवीस दीपइ दिणंद । भला वैद्यनइ पाटकि । चंद्रप्रभ दीपइ हाकि ॥ ४७ ॥ प्रतिमा बइ नमी भावि । भइंसातवाडइ ए आदि । शांति जिनादिक छत्रीस.। गोयमस्वामि मुणी श॥४८॥ ॥ ढाल फागनउ ॥७॥ सहावाडइ हिवइं आवीइ भावीइ देव सुपास । पंच्यासी पडिमा नमी आवीइ देहरइ पास । सप्तफणामणिशोभित ओपित देह उदार । छसइ बारोत्तर भेटीइ मेटीइ पाप अढार ॥ ४९ ॥
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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