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________________ आ प्रस्तुत चैत्यपरिवाडी तेना लेखके कुल २३ ढालो, एक चौपाई अने २०४ गाथाओमां पूरी करी छे. जे प्रति उपरथी एनी प्रेस-कॉपी करवामां आवी छे, ते मूल प्रति सं. १६४८ ना पोष वदि १ ना दिवसे लखेल छे, एटले के रचाया बाद मात्र त्रण महिनानी अंदर ज लखेल होइ परिवाडी पोताना मूल रूपमा जलवाइ रही छे. प्राचीन गूर्जर साहित्यना समालोचकोने तेनु खलं स्वरूप जणाइ आवे एटला माटे तेमां कंड पण भाषाफेर न करता तेने पोताना मूल स्वरूपमा ज कायम राखी प्रकट करवा उचित धायु छे. कदरदान वाचकगण पठन-पाठन द्वारा आ चैत्यपरिवाडीथी लाभ हांसिल करी लेखक अने प्रकाशकना उद्देशने सफल करो एवी शुभाकांक्षा साथे विरमीए छीए. -मुनि कल्याणविजय.
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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