SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिमाओनी संख्या जणाववामां जरा घोटालो करी दीधी छे, ते एवी रीते के केटलैक ठेकाणे तो पोते मूलनायकन नाम लखी " अवर प्रतिमा ” “ अवर जिनवर" इत्यादि उल्लेखोनी साथे विबोनी संख्या जणावे छे के जेनो अर्थ मूलनायक सिवायनी प्रतिमाओनी संख्या जणावनारी थाय छे, ज्यारे घणे ठेकाणे "अवर" के "अन्य" कंइ पण शब्दप्रयोग कर्या वगर प्रतिमासंख्या लखी दीये छे तेथी तेवा स्थलोमां ए शंका रही जाय छे के आ संख्या मूलनायक सहितनी जाणवी के मूलनायक सिवायनी प्रतिमाओनी ? आनो खुलासो मूलनायक सहित गणतां थतो नथी, तेम मूलनायक सिवायनी प्रतिमाओनी संख्या गणतां पण थतो नथी,कारण के बेमांथो कोइ पण रीते गणतां आखेरी बिम्बसंख्याना सरवालो मलतो नथी. एथी ए वात सहेजे जणाइ आवे छे के ग्रन्थकारे जणावेली ते ते चैत्योनी प्रतिमासंख्या केटलेक ठेकाणे तो मूलनायक सहितनी छे अने केटलेक स्थले ते सिवायनी छे, पण सहितनी क्यां अने रहितनी क्यां तेनो खुलासो थवो अशक्य छे. ग्रन्थकारे जेम प्रत्येक वासनां देहराओनी संख्या अने तेनी प्रतिमासंख्या जगावी छे, तेम आखा नगरनां सर्व देहराओनो आंकडो अने सर्व प्रतिमाओनी संख्यानो आं-- कडो पण तेमणे जणावी दीधा छे. परिवाडीकार प्रतिमासंख्या जणावतां पहेलां देहराओने बे विभागमां वहेंची दिये छे, म्होटां जिनमंदिरोने
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy