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________________ छता केटलाक बनावो उपरथी एम कही शकाय के वर्तमान पाटण विक्रम संवत्१३६०अने १३७९नी वच्चे वसेलु होवु जोइये पाटणनी जैन मंदिरावली'नी प्रस्तावनामां तेनो लेखके जणावेलु छे के-"अल्लाउद्दीनना बखत मां प्राचीन पाटणनो नाश थतां सं० १४२५ ना वर्षमां आ वर्तमान पाटण फरिथी वस्युं छे." पण आमां जणावेली साल खरी होवामा शंका छे. संवत् १३५६ मां नाश पामेलु नगर बे पांच वर्षमा पार्छ न वसतां लगभग अर्धसदीथी पण अधिक समय पछी वसे ए वात साची मानवामां जग संदेह रहे छे. जो प्राचीन नगर सर्वथा नाश पामी गयुं हाय अने नवेसर वसवा जेवी स्थिति उभी थइ होय त्यारे तो ते तरत ज वसवू ज़ोइये, अने जो मुसलमानोना हाथे एटलुं बधुं नुकशान न थयु होय के जेथी फरिने शहेर नवं वसावq डे तो त्यार बाद साठ सित्तर वर्षमा ज एवं शुं कारण आत्री प.यु हशे के मुसलमानोना हाथे जोखमायेल पाटण मां ६० वर्ष पर्यन्त रहोने फरिथी न गरिकोने नवु पाटण बसाव, पड्युं होय ? अमारा अनुमान प्रमाणे तो आधुनिक पाटण सं०१४२५ मां नहिं पण १३७० नी आसपासमा वसेल होवु जोइये, कारण के पाटण भंगना घखनथी पाट समां बनता जैन मंदिरो उंची चट्टान पर आवेलुं छे, लोको तेने ‘राजमहल' कहे छे. कीजी पग प्रचुरम निशानीओ त्यां सेकडो मले छ. ..... वि.सं. १३७१मां शत्रुजयतीर्थना उद्धारक संघपात दसल अने समरा साह पाटणमा वसता हता, एटले तेसमये पाटण हयात ज हतुं, ... -ला, भ, गांधी,
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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