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________________ वस्तु बडहनरइ बडहनरइ आदि पहु वीर, जीवतसामिय लेपमए, कणयवन्न पादुका रयण, बालउ वेउल मालतिय, पमुह फुलतोडर रएवि। कुंकुम चंदन मद नविय, पूज रचावउ भंगि। भावन भावउ विवहपरि, जगगुरु आगलि रंगि ॥ १७ ॥ बीसलनयरई आदि वीर, मणछिय सुरवर। . महिसाणे पहु पास संति, सिरि आदि सुमतिवर ॥१८॥ जोटाणइ पहु पासनाह, सिरि सुमति जिणेसर । सूंआलइ सिरि नेमिदेव, भवभय वणकुंजर ॥ १९ ॥ वीरमगामइ सुमति संति, जांबू मुनिसुव्रत। टोटरगामइ पासनाह, बहु लोयां सम्मत ॥ २० ॥ भोइका सिरिआदिनाह, रंगपुरिं पहु पातो। धंधुकइ सिरिपंच संति, वंदउ वलि पासो ॥ २१ ॥ वस्तु बलहनयरि वलहनयरि संति जिणराउ, चम्मारिपुरि संतिजिण, भवियलोअ लोयण निसायर, पालिअताणइ पासपहो, विहिय सेव सुर असुर किन्नर ॥ ललियसरोवर हरखभरि, सामिय वीर नमेश । अंग पखालिं विमल लि, पावपंक टालेसी॥ २२ ॥ गहगहंत दिव गिरि चडिय, पाजइ परमाणंद॥ । दह दिसि पसरिय विवह परे, सिंदवार मचकुंद ॥२३॥ कोइल करइ टहूकडा ए, विहसिय सुह वणराय ।
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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