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________________ उंची सेरी शान्तिनाथ, प्रतिमा पंचास । एक उपर नमतां थकां, पोहचे मन आस ॥८॥ पीपले सावको पार्श्वनाथ, सडसठ प्रतिमा सोहे । सडतालीस बिंब शान्तिनाथ, भवियण मन मोहे ॥९॥ चिंतामणि पाडा मांही, शान्तिनाथ विराजे । पचवीस प्रातमा तिहां भलीए, देखी दुःख प्रभाजइ ॥१०॥ बीजे देहरे चन्द्रप्रभ, तिहां प्रतिमा वंदु । दोसत सडसठ उपरे, प्रणमी पाप निकंदु ॥ ११ ॥ सुगाल कोटडी प्रासाद एक, थंभणो पार्श्वनाथ ।। धर्मनाथ नइ शान्तिनाथ, शिवपुरीनो साथ ॥ १२ ॥ ढाल ॥ १॥ देशी वाहाणनी । राग मल्हार ॥ खराकोटडीमांहि प्रसाद मनोहरुरे । के प्रासाद मनो० । पंचमेरु सम पंच के, भवियण भयहरुरे । के भवि०॥ १॥ अष्टापद प्रासादके-चंद्र प्रभ लहीरे । के चंद्र० । नवसत उपर सात कि, प्रतिमा तिहां कहीरे । के प्रति०॥ चंद्रप्रभ प्रसादके, तेर जिणेसरुरे । के तेर० । पास नगीनो षट जिन । साथे दिणेसरुरे ॥ साथे०॥ २॥ शान्तिजिणंद प्रसाद । देखी मनहरखीएरे । देखी मन० ॥ चोरासि जिन प्रतिमा तिहां कणे निरखीएरे। तीहां कणे०३॥
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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